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विचारपोथी
६८३
ईश्वरकी पैतृक सत्ता स्वीकार किये बिना जगत्में भ्रातृभाव स्थापित नहीं होगा।
६८४ सन्त सूर्यके समान
खेतोंमें फसल लावेगा। सधारक अग्निके समान भात पकावेगा।
६८५ गोपियोंके लिए प्रेममूर्ति । द्रौपदीके लिए कारुण्यमूर्ति । अर्जुनके लिए ज्ञानमूर्ति । व्याधके लिए क्षमामूर्ति ।
६८६
उपासना तीन प्रकारकी :
(१) आत्मपरीक्षणपर-गंभीर। (२) हरिदर्शनपर-आनंदमयो । (३) तत्त्वचिन्तनपर-शान्त ।
६८७ उन्मनी-आध्यात्मिक नींद । प्रबुद्ध-आध्यात्मिक जागृति । दोनों एक-दूसरीको जांचनेकी अवस्थाएं हैं।
६८८ सामर्थ्य है सत्य-निष्ठाका। होगा जिसके पास उसका। इसीका नाम 'भगवानका।
अधिष्ठान'!
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