Book Title: Vichar Pothi
Author(s): Vinoba, Kundar B Diwan
Publisher: Sasta Sahitya Mandal

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Page 92
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विचारपोची किसी भी सम्पूर्ण दर्शनके लिए नीचे लिखे तीन विचार आवश्यक हैं : (१) कार्याकार्य-विचार (२) कार्यकारण-विचार (३) कार्यकर्त -विचार ज्ञानी पुरुषके 'प्राभासिक' कर्मके हेतु : (१) लोक-संग्रह (२) प्रारब्ध-क्षय (३) साधना-दाढर्य (४) सहजानन्द । 'हाथका' अंगारा जानेके विषयमें कौन शकायत करेगा? संसार 'हाथका' अंगारा है, उसे छोड़कर भागते' परमार्थका पीछा बेशक करना चाहिए। (टिप्पणी-हिन्दीमें 'प्राधी छोड़ एकको धावै' जो कहावत है, उसी आशयकी मराठी में कहावत है-'हातचे सोडून पलत्याच्या मागों लागणे'।) ६३७ कोई 'माया' कहते हैं, कोई 'लीला' कहते हैं, कोई 'स्फूर्ति' कहते हैं । कुछ भी न कहें, तो क्या बुरा है ? प्रतिपक्ष-भावनाकी अपेक्षा अ-भावना अधिक परिणामकारक है। आत्मचिन्तन याने आत्मशक्तिका चिन्तन । वस्तुतः आत्मा अचिन्त्य है। For Private and Personal Use Only

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