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विचारपोथी
६०७
श्वासोच्छ्वास की क्रिया शरीरके सारे रंध्रोंसे होती रहती है, लेकिन नाकसे विशेष रूपसे होती है। यदि सत्कर्मोंको रंध्रोंकी जगह मानें, तो उपासना नाककी जगह है ।
. लोगोंके सूक्ष्म व्यवहारोंमें अनाहूत ध्यान देना सेवक को मना है।
६०६
जो मूर्ति सर्वोपलभ्य नहीं है, वह मूर्ति-पूजाके शास्त्रके अनुसार भगवान्की मूर्ति नहीं हो सकती।
अवतारोंकी जन्मभूमि, सन्तोंकी मृत्युभूमि और वीरोंकी कर्मभूमि धन्य है !
मां ! बालकके कानोंमें एक ही आवाज़ गूंजने दे-आत्मा ! आत्मा ! आत्मा !
सत्य व्यावहारिक अपूर्णांक नहीं, आध्यात्मिक पूर्णांक है ।
६१३ निद्रा और जागृति, इन दोनोंके गुण मिलाकर 'समाधि' बनती है। दोनोंके दोष मिलाकर 'स्वप्न' ।
गुण स्वतःप्रमाण । दोष सबूत मिलनेपर।
आत्मा 'न हन्यते', क्योंकि-'न हन्ति' ।
मनुष्यका मुख्य धर्म कौन-सा है ?-मनष्यता।
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