Book Title: Vichar Pothi
Author(s): Vinoba, Kundar B Diwan
Publisher: Sasta Sahitya Mandal

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Page 68
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विचारपोथी. ४५४ कर्मयोगी-सफेद दूधवाली काली गाय । संन्यासी-सफेद दूधवाली सफेद गाय । : . कर्मयोगी-सूर्यके समान अखंड कर्म करता है। संन्यासी-सूर्य के समान अखंड अकर्ता होता है। . ४५८ .. जनता जड़ भले ही हो, परन्तु वह थर्मामीटरकी तरह अचूक योग्यता-मापक है। ४५७. पहले आश्रममें एक भैंस थी। वह अपने बच्चेको दूध पिलाती थी, उसी तरह दूसरे भैंसोंके बच्चोंको और गायोंके बछड़ोंको भी दूध पिलाती थी। कोई उसे जड़ कहते हैं। मैं उससे समत्वबुद्धि सीखा। - उत्तरोत्तर अनुद्भूत चैतन्यको श्रेष्ठतर माननेके लिए भी कारण है। ४५६ ऋषियोंकी समत्व-बुद्धिका परिणाम संस्कृत भाषाकी उच्चारण-पद्धति में भी दिखाई देता है। ४६० ज्ञानके बाद होनेवाला कर्म केवल आभासरूप है। परछाईंके कारण मनुष्यके एकांतमें कोई बाधा नहीं आती, उसी तरह उस छायारूप कर्मसे ज्ञानके एकांत में बाधा नहीं आनी चाहिए। ४६१ प्रजापतिका मंत्र--'द' । देवोंका अर्थ-- दमन करो। असुरोंका अर्थ- दया करो। For Private and Personal Use Only

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