Book Title: Vichar Pothi
Author(s): Vinoba, Kundar B Diwan
Publisher: Sasta Sahitya Mandal

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Page 54
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विचारपोथी ही हैं। परन्तु वाचिक क्रिया प्रारकियाका विशेष अर्थ है। इसलिए प्राणायामका रहस्य वाक्संयममें है। ३४७ (१) श्रवण-मननादि (२) शम-दमादि (३) यज्ञादि (४) प्राणायामादि (५) भजनादि यह साधन-पंचक है। ३४८ परमार्थरूप बर्फीका कर्म वजन है, बुद्धि मिठास । वजनसे मिठास श्रेष्ठ है, परन्तु इसलिए वजन त्याज्य नहीं होता है । ३४६ मौनके अर्थ : (१) वाक-संयम (२) सत्य-संग्रह (३) शक्ति -संचय (४) ध्यान-साधन भगवत्-प्राप्तिके हेतु प्रवृत्त, भगवानका स्वमुखसे गाया हुआ प्रह्लादादि परम भागवतों द्वारा आचरण किया हुआ जोधर्म सो 'भागवत-धर्म'। ३५१ संन्यास नोट है; कर्मयोग सिक्का है; कीमत एक ही है। For Private and Personal Use Only

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