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विचारपोथी
ही हैं। परन्तु वाचिक क्रिया प्रारकियाका विशेष अर्थ है। इसलिए प्राणायामका रहस्य वाक्संयममें है।
३४७ (१) श्रवण-मननादि (२) शम-दमादि (३) यज्ञादि (४) प्राणायामादि (५) भजनादि यह साधन-पंचक है।
३४८ परमार्थरूप बर्फीका कर्म वजन है, बुद्धि मिठास । वजनसे मिठास श्रेष्ठ है, परन्तु इसलिए वजन त्याज्य नहीं होता है ।
३४६ मौनके अर्थ :
(१) वाक-संयम (२) सत्य-संग्रह (३) शक्ति -संचय (४) ध्यान-साधन
भगवत्-प्राप्तिके हेतु प्रवृत्त, भगवानका स्वमुखसे गाया हुआ प्रह्लादादि परम भागवतों द्वारा आचरण किया हुआ जोधर्म सो 'भागवत-धर्म'।
३५१ संन्यास नोट है; कर्मयोग सिक्का है; कीमत एक ही है।
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