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विचारपोथी
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सामूहिक साधनामें व्यक्तिगत साधनाका कस परखा जा सकता है; और मनके कोने-कंगूरे घिसनेमें मदद होती है।
१५३ जब मैं देखता हूं कि मुझे बाहरसे कितना मिला, और मेरा ख़ुदका अन्दरका कितना है, तब मेरा निजका कुछ भी नहीं रह जाता। 'इदं न मम' भावना करनेका मुझे कारण ही नहीं है।
१५४
मेरो त्रयी : माता, गीता, तकली।
१५५ वैदिक ऋषि जब 'मुझे चावल चाहिए, मुझे गेहूं चाहिए, मुझे मसूर चाहिए' आदि कहता है, तब उसके 'मैं' में त्रिभुवनका समावेश हुया होता है।
१५६ पहाड़के समान ऊंचा होनेमें मुझे मजा नहीं आता । मेरी मिट्टी आसपासकी जमीन पर बिखेरी जाय, इसमें मुझे अानन्द है।
___ शास्त्रका कहना है कि ज्ञाता जड़ होकर रहे। जड़ होकर रहना अर्थात् कर्ममें बरतना।
तपमें तीन वस्तुएं हैं : (१) चित्त-शुद्धि, (२) निर्माणशक्ति और (३) ज्ञान। तप करते समय अन्तिम दोनोंके विषयमें अनासक्ति हो तो तीनोंकी प्राप्ति होगी।
इतिहासका अध्ययन, याने अपने पूर्व-जन्मोंका निरीक्षण ।
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