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विचारपोथी
1. डबरेमें या समुद्रमें होनेवाले विवाह अच्छे नहीं होते। विवाहके लिए नदी चाहिए। प्रेमसे ही छाप ; अच्छी या बुरी, नीति अनीतिपर ।
१६२ ज्ञान भी ज्ञानगम्य है ; याने पहलेसे ही ज्ञान हो तो आगे ज्ञानकी प्राप्त होगी।
असत्कर्मका सिर मार दिया जाय । सत्कर्मको जखमी किया जाय । सत्कर्मको जखमी करनेकी युक्तिका ही नाम है फलतयग ।
१६४ प्राप्ति से प्रयत्नका आनन्द विशेष है।
! आग्रह महत्त्वकी शक्ति है। उसे मामूली काममें खर्च कर देना ठीक नहीं।
उन्मनीसे परेका स्वैर मन-यही सहजावस्था।
केवल सवेरेका ही राम-प्रहर ? और बाकीके क्या हरामप्रहर हैं ? भक्तोंके लिए समस्त समय समान रूपसे पवित्र होना चाहिए।
१६८ । अपने पहले हुई तपश्चर्याको न गंवाते हुए आगे कदम बढ़ाना सुधारकका काम है।
अकरण, निषिद्ध, काम्यकर्म, फलाभिसंधि और अहंकार--
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