Book Title: Vasantraj Shakunam
Author(s): Vasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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प०
आ.
१ लाभ
४ मित्रसंगम
नरेंगिते छिक्काप्रकरणम् ।
(८५) प्रयोजने यत्र कृतेऽपि जातं क्षुतं क्षणात्तद्विनिहंत्यवश्यम्।।कायोत्सुकेनापि मनागपीदं तस्मादुपेक्ष्यं न विचक्षणेन ॥९॥
. ॥ टीका ॥ पश्चाच्छकुनानंतरं झुतं चेत्ततोऽपि शकुनैः किं स्यात् । तेनैव तेषां प्रतिषेधनात् यतः जातानुजाताञ्च्छकुनानक्षुतं निहंति अत्र संशयो न कार्य इत्यर्थः॥ ८॥ प्रयोजन इति॥कृतेऽपि प्रयोजने कृते कार्योदेशेयत्र क्षुतं जातं तदा क्षणात् क्षणमात्रेण तत्कार्य'मवश्यंविनिहति कार्योत्सुकेनापि पुंसाक्षुते जाते मनाक्मतीक्ष्यं विचक्षणेन तस्मात् कार्योंत्सुक्यान उपेक्ष्यम्न उपेक्षाविषयीकार्यमित्यर्थः॥९॥मतांतरे तु पथिप्रस्थितस्य अभिमुखे छिक्का नरस्य मरणप्रदा भवति दक्षिणापिन शुभदावामा पृष्ठभागोद्भवाच शुभदा ग्रामप्रवेशे तु वामा अ-। अष्टसु दिक्षु प्रतिप्रहरं छिक्कायाः शुभाशुभसूचकं चक्रम् ॥ शुभदा दक्षिणाशभा पृष्ठोद्भवा | ई० .
१ हर्ष पराजयकरी संमुखा लाभप्र- २ नाश २ धनलाभ २ मित्रदर्शन दागृहोपविष्टस्य किंचित्कार्य | ३ व्याधि ३ मित्रलाभ । ३ शुभवार्ता
अभिभय ४ अग्निभय कर्तुकामस्य पुंसः दिग्विभाग-1 जनित फलं यथा पूर्वस्यां ध्रुवं| १ शत्रुभय
२ मत्युभय लाभः अग्नौ हानिः दक्षिणस्यां। २ रिपुसंग मरणं नैत्यामुढेगः पश्चिमाया सर्वसंपत् वायन्यां शुभवा
१ स्त्रीलाभ श्रवर्णम उत्तरस्यां धन- २ लाभ
२ मित्रभेट लाभः स्यात् ईशान्यां श्रीर्वि
३ शुभवार्ता
४.चोर जयश्च तथा ब्रह्मस्थानेपि ग्रं- " थांतरेराप्येवम्॥"पूर्व छिक्का भवेन्मृत्युरामय्यां शोक एव च ॥ हानिश्च दक्षिणे भागे
॥भाषा ॥ विति ॥ जो शकुनके आदिमें छींक होय फिर शकुन होय तो कुछनहीं, और शकुन हुये पीछे छींक होय तोभी शकुन करकै कुछ नहीं होय, छौंक होयवेसं शकुनके फल मिटजायँ हैं या संदेह नहीं करना योग्य है ॥ ८ ॥ प्रयोजन इति ॥ कोई कार्यको उद्देश करै वा समयमें छौंक होय तो कार्य नष्ट होय जाय कार्यवान् पुरुषकै छींक होय तो ठहर जाय फिरजाय, और छींक हुये पै कार्यकी जलदी चलो कहा होय है ऐसो नहीं करनो उचित है ।। ॥९॥ मतांतर कहैहैं ॥ प्रयाण करवेवारे पुरुष मार्गमें सन्मुख छींक होय तो मनुष्यकू मरणदे.
द
१ लाभ
गता
३ लाम भोजन
३ नाश ४ कलि
वा
१लाम
१दूरगमन २ हप ३ कलह
४लाभ
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