Book Title: Vasantraj Shakunam
Author(s): Vasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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द.
मा. जलासुरक्ष.मः । 10
नरेंगिते स्फुरणप्रकरणम्। (७) बूंमोऽधनागस्फुरणस्य सम्यक्प्रत्येकमध्यक्षफलप्रभावम्।।सवस यत्रावगते स्वदेहादुत्पद्यते कर्मविषाकसंवित् ॥ १ ॥ मृद्रिस्फुरत्याश पृथिव्यवाप्तिःस्थानप्रवृद्धिश्च ललाटदेशाभूप्राणमध्ये प्रियसंगमः स्यानासाक्षिमध्ये च सहायलाभः२॥
॥ टीका॥ बमोधुनेति ॥ अधुना अंगस्फुरणस्य अध्यक्षफलप्रभावमिति अध्यक्षः प्रत्यक्षोप लभ्यमानो हि फलस्य प्रभावो माहात्म्यं यस्य तं वयं ब्रूमः। कथं सम्यग् यथा स्यातथेति क्रियाविशेषणं प्रत्येकमिति फलस्य विशेषणमेकमेकं प्रति प्रत्येकं विशेषाकारणेत्यर्थः । यस्मिन्नवगते ज्ञाते स्वदेहात् सर्वत्र कर्मविपाकसंवित् कार्यविपाकस्य ज्ञानमुत्पद्यते ॥ १ ॥ मूर्नीति ॥ मूर्ध्नि मस्तके स्फुरति सति आशु शीघ्र पृथिव्यवाप्तिःभूमिप्राप्तिः स्यात् ललाटदेशे स्फुरति स्थानप्रवृद्धिः भूवाणमध्ये स्फुरति प्रियसंगमः स्यात् नासाक्षिमध्ये स्फुरति
॥ भाषा ॥ संहार कर, पातालमें नीचे होय तो सर्व संपदा होय, ये दश छौंक है. और गमनसमयमें आपकूही छींक आवे तौ महाभय जाननो, और नवीन वस्त्र आभरण धारण करतीसमयमै छींक होय तो तैसोही लाभ होय, और जो स्नानके अंतमें दीप्ता दिशामें छींक होय तो दष्ट. स्नान फिर करावे, और रोगीको पूछनी समयमें छींक होय तौ वैद्यके नहीं करवेके अर्थ जानने
और वैद्यक बुलायवे जाय जिनकू होय तो रोगीकू मृत्युदेवेवारो होय, और घर आये वैद्यकू छींक होयतो रोग नाश होय तत्क्षण ॥ इति श्रीमज्जटाशंकरतनयज्योतिर्विच्छ्रीधरविरचितायां वसंतराज
शाकुनभाषाव्याख्यायां नरेंगिते तृतीयं छिक्काप्रकरणम् ॥३॥ बमोऽधुनेति ॥ अब एक एक अंगके स्फुरणको प्रत्यक्ष फलप्रभाव कहें हैं जाके हुये सुं अपने देहते सर्वकू कर्मविपाकको वा कार्यफलको ज्ञान होय है ॥ १ ॥ मृति ।
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