Book Title: Vasantraj Shakunam
Author(s): Vasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भाषाटीकासमेत। .(२९) स मृत्युलभते वा शुभेन विमुच्यते॥४६॥ कुडयेऽथवा भित्ति तले चित्राकारविलेखितम् ॥ राहुयुक्तं चन्द्रबिम्बं स्वप्ने दृष्ट्वा विनश्यति॥४७॥ स्वप्रेय इष्टप्रतिमां स्फुटितां चलितामपि। प्रपश्यति नरस्तस्य मृत्युदौवारिको भवेत् ॥ ४८॥ स्वप्ने यः कुलदैवत्यं चोर्यमाणं प्रपश्यति ॥ चौर्यमभटैस्तस्य चोर्यन्ते प्राणवायवः ॥ १९ ॥ आराममध्ये वृक्षापात्पतितो मार्गमन्तिक॥न पश्यति नरस्तस्य मरणं स्यान्न संशयः॥५०॥ कृतक्षौरः पटहकं स्वप्ने यो वादयेन्नरः ॥ यमस्य नगरी जेतुं जयध्वनिरुदीर्यते ॥५१॥ रक्ताङ्गा रागसप्ताङ्गी शुष्कमालाविभूषणा । आलिङ्गति दृढं नारी यं स आशु म्रियेत वै!!
॥५२॥॥ मुक्तकेशा कृष्णगन्धपरिचर्चितगात्रिका । नार्यालिङ्गति यं स्वप्नेस आशु म्रियते नरः ॥५३॥ भयङ्करारुणापाङ्गी पीताम्बरपरीवृता ॥ नालिङ्गति यं स्वप्ने स आश म्रियते नरः ॥ ५४ ॥ कृशोदरी पिङ्गनेत्री नमा दीर्घनखा
तथा॥नायोलिङ्गति यं स्वप्ने स आशु म्रियते नरः॥५५॥ होताहै अथवा कल्याणरहित होता है ॥४६॥ दीवालपर अथवा दीवारके नीचे चित्रकारसे लिखित राहुसे युक्त चंद्रमाकी परछाईको स्वप्नमें देखकर शीघ्रही नाशको प्राप्त होताहै ॥ ४७ ॥ जो स्वप्नमें इष्टमार्तिको टूटीहुई देखे अथवा चलतीहुई देखे उस मनुष्यकी मृत्यु दुःखसे निवारणके योग्य होतीहै || ४८ ॥ जो मनुष्य स्वप्नमें कुलके देवताओंकी वस्तुको चुराया हुआ देखताहै उसकी प्राणवायु यमके भटोंसे चुराई जातीहै ।। ४९ ॥ बगीचेके बीचमें बृक्षसे गिरता हुआ समीपके मार्गको जो नहीं देखताहै, उसका निश्चय मरण होताहे इसमें कुछ संशय नहींहै ॥५०॥ जो स्वममें क्षौर कराकर बडे नगाडेको बजाताहै, वह पुरुष यमराजकी नगरी जीतनेको जयध्वनि उच्चारण करताहै ॥ ५१ ॥ लालअङ्गवाली रङ्गसे रचित शरीरवाली सूखी मालासे शो. मित स्त्री जिस पुरुषका आलिङ्गन करतीहै वह निश्चय शीघ्र मरताहै ॥ ५२ ॥ केश रहित काली गन्धसे युक्त शरीरवाली स्त्री जिस पुरुषका स्वप्नमें आलिङ्गन करतीहै वह पुरुष अवश्य मरताहै ॥ ५३ ॥ भयङ्कर लालनेत्र वाली पीले वस्त्रसे व्याप्त स्त्री जिस पुरुषको स्वप्नमें आलिङ्गन करती है वह पुरुष शीघ्र मरताहै ॥ १४ ॥ कृश उदरखाली पीलेनेत्र वाली नंगी बड़ेनाखनवाली स्त्री जि
For Private And Personal Use Only
Loading... Page Navigation 1 ... 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596