Book Title: Vasantraj Shakunam
Author(s): Vasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai

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Page 594
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३८) स्वमाध्याय । मृत्युःकालमपेक्षते॥१४॥रक्तकृष्णाम्बरधरागायन्ती हसती च यम्॥दक्षिणाशां नयेनारी स्वप्ने सोऽपि न जीवति ॥१५॥ नग्रंच क्षपणं स्वप्नेहसमानं प्रहृष्य वै॥ एनं च वीक्ष्य वल्गन्तं विद्यान्मृत्युमुपस्थितम् ॥ १६ ॥ आमस्तकतलावस्तु निमग्नं पङ्कसागरे ॥ स्वप्ने पश्येत्तथात्मानं नरः सद्यो म्रियेत सः॥ १७ ॥ केशाङ्गारांस्तथा भस्म वकगानिर्जला नदीः विपरीतं परीतं वा सद्यो मृत्यु समेति सः ॥१८॥ यस्य वै भुक्तमात्रेऽपि हृदयं पीडयते क्षुधा ॥ जायते दन्तघर्षश्च स गतासुरसंशयम् ॥ १९ ॥ धूपादिगन्धं नोवेत्ति स्वपित्यह्नितथा निशिानात्मानंपरनेत्रस्थं वीक्षतेनसजीवति ॥२०॥शकायुधंनिशीथे च तथा ग्रहगणंदिवा।। दृष्ट्वा मन्येत संक्षीणमात्मजीवितमात्महक् ॥ २१ ॥ नाधिका वक्रतामेति कर्णयोनयनोन्नती ॥ नेत्रं वामं च स्रवति तस्यायुरुदितं लघु ॥ २२ ॥आरक्ततामेति मुखं जिह्वा चास्य सिता यदा ॥ तदा प्राप्त विजानीयान्मृत्यु मासेन चात्मनः ॥ ॥ २३ ॥ उष्ट्रासभयानेन यः स्वप्ने दक्षिणां दिशम् ॥ प्रयाति तं विजानीयात्सयो मृत्यु नरं जनः ॥ २४ ॥ और रीछ युक्तकी सवारीमें बैठकर गाताहुआ स्वप्नमें दक्षिणदिशाको जाताहे उसकीभी मृत्युकालकी अपेक्षा करतीहै ॥ १४ ॥ स्वप्नमें लाल कालेवस्त्रधारण किये गाती हँसती स्त्री जिस पुरुषको दक्षिण दिशामें व्याप्त हो वहभी नहीं जीताहै ॥ १५ ॥ स्वप्नमें हँसतेहुये संन्यासीको हँस कर बात करता देखै तो मृत्युको समीप आया जाने ।। १६ ॥ जो स्वप्नमें मस्तकपर्यन्त अपनेको कीचरूपी समुद्रमें डूबा देखे, वह मनुष्य शीघ्रही मरताहै ॥ १७ ॥ केश अंगारे भस्म वा नदीको सूखतीहुई कुटिलगामिनी देखे, वा विपरीत देवै अथवा परीत ( नष्ट ) देख वह शीघ्रही मरताहै ।। १८ ।। जिसके भोजन करनेपरही भूख हृदयको दुख देतीहै अथवा जो दांतोंको घिसै वह शीघ्र मरताहै इसमें कुछ संशय नहींहै ॥१९ ॥ धूपादि गन्धको नहीं जानता, दिनरात सोताहीहै, दूसरेके नेत्रमें स्थित अपनेको नहीं देखताहै वह नहीं जीताहै ॥२०॥ रात्रिमें इंद्रके धनुषदिनमें तारों (नक्षत्रों को देखकर बुद्धिमान् आत्माको क्षीण जाने ॥२१॥जिसकेनेत्रोंका ऊँचाओं कानोंमें अधिक टेटेपन को नहीं प्राप्त होता और वांये नेत्रों में आंसं निकलें उसकी आयु हीन जान॥२२||जिसका मुखअकस्मात लाल होजाय जोम सफेदहो उसकी एकमहीनेमें मृत्यु जाने ॥ २३ ॥ जो पुरुष स्वप्नमें ऊंट गधेकी For Private And Personal Use Only

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