Book Title: Vasantraj Shakunam
Author(s): Vasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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पिंगला रुतेऽधिवासनप्रकरणम् ।
॥ टीका ॥
सोऽपि त्याज्यः वानर शिशुसर्पाक्रांतश्च वर्जनीयः इति वृक्षपरीक्षा । अथ पक्षिपरीक्षा । तालवबिल्वकपित्थस्थः पक्षी वैश्यः । निवपिप्पलापिप्पली करीरजंबूकदंवस्थः क्षत्रियः आम्रमधूकखर्जूरीस्थः शूद्रः। विप्रः सर्वगः। तथा दीर्घरूक्षवर्णः स्थूलनादः क्षत्रियः मधुरभाषी पिंगलवर्णः वैश्यः । अल्पपुच्छो वर्तुलशीर्षोऽस्थायिनादः श्यामवर्णः शूद्रः । एतव्यतिरिक्तो ब्राह्मणः। तथाऽस्थायिशरीरः अल्पनादः स पुरुषः । अल्पशब्दमहाशरीरा सा स्त्री पुरुषो घर्घर कंठः पीतवर्णः महाचंचु श्रेष्ठाहीनः आलस्यवाज्ञेयः । वदुद्विगुणस्वरवादी वृद्धो ज्ञेयः ॥ अल्पपुच्छः ताम्रचंचः स्वल्पगः पुरुषस्वरवादी भेकवद्रामी जृंभायुक्तः स चालः । धूसरवर्णा महाजंघा दीनस्वरकारिणी सा गर्भिणी । एवंविधा शनैर्गच्छतिया सा प्रसविता पूर्वोक्ता कोपतः तीक्ष्णस्वरवादिनी वंध्या । स्वसवर्णस्त्रि
।। भाषा ॥
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समूह होयँ, मनुष्यको कोलाहल शब्द होतो होय. जहां जंगल फिरते होंय. हाडनको समूह होय, शमशान होय ये स्थान वर्जित हैं तैसेही वृक्ष कहे हैं | कांटेनको होय और सूखो जलो टूटो होय और तैसेंही फूटो देवमंदिर होय जीर्णघर होय दुर्ग और भीत ये गिरपडे हॉय उजडो ग्राम होय पडो हुयो वृक्ष होय इनस्थलनमें स्थित पिंगलपक्षी त्यागके योग्य है. और जीर्णवाणकरके छेदन कियो होय, जलो होय, पवनकरके उखडयो होय, कटया होय, खंडित होय ऐसे वृक्ष त्यागके योग्य हैं. वृक्षकर बेष्टित वल्लीकर वेष्टि - त वृक्ष त्यागके योग्य हैं. और जा वृक्षके ऊपर घूघू, शिखरा, दुष्टपक्षीनको निवास सोभी त्याग करके योग्य है ॥
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॥ इतिवृक्षपरीक्षा ॥
अथ पक्षीपरीक्षा ॥ तालवट, बिल्व, कपित्थ इन वृक्षनपे स्थितपक्षी होय ताकी वैश्य संज्ञा. और निंब, पिप्पल, पिप्पली, करीर, जम्बु, कदंब इनपै स्थित पक्षीकी क्षत्रिय संज्ञा है. और आम्र, मधूक, खजूर इनपे स्थितको शूद्रवर्ण है. इनते अन्य सब वृक्षनपे स्थित होय तो ब्राह्मण. और दीर्घ होय. रूखो वर्ण जाको होय स्थूलनादजाको होय वो क्षत्रिय जाननो और मधुरभाषी होय पिंगलजाको वर्ण होय वो वैश्य जाननो और अल्प पूंछ जाकी होय, वर्तुलाकार जाको मस्तक होय, अस्थिर जाको नाद होय, श्यामवर्ण जाको वो शूद जाननो इनते व्यतिरिक्त अर्थात् न्यारो होय वो ब्राह्मण जाननो, और स्थिर शरीर जाको अल्पनाद जाको वो पुरुष जाननो और अल्पशब्द जाको महान् शरीर जाको सो स्त्री
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