Book Title: Vasantraj Shakunam
Author(s): Vasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai

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Page 560
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४) स्वमाध्याय। (ॐकार्पण्यदोषोपहतस्वभावः पृच्छामित्वां धर्मसंमूढचेताः ॥ यच्छ्रेयः स्यानिश्चितं ब्रूहि तन्मे शिष्यस्तेऽहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम् ॥ ॐ॥४॥) उक्त्वा मन्त्रपदान्यङ्गपञ्चके विन्यसेदुधः ॥ ध्यानं च कुर्याद्विधिवदेकाग्रेणैव चतसा ॥१९॥ सेनयोरुभयोमध्ये श्रीकृष्णं प्रति फाल्गुनः॥ शस्त्रास्त्राणि करान्यस्याप्राशीदै प्रपदाग्रतः ॥२०॥ इति ध्यात्वा च तुलसीमूले पञ्चोपचारकैः ॥शालग्रामं सुसंपूज्य मलयागरुधूपकैः॥२॥ प्रज्वाल्य घृतदीपंचताम्बूलादिभिरुत्तमैः।। ततः कुशासने स्थित्वा मन्त्रमष्टोत्तरं शतम् ॥२२॥ जपित्वा प्रस्वपेत्स्वस्थः सुमना दक्षपार्श्वके ॥ २३॥ स्वप्ने कृष्णः समागत्य ब्रूयात्तस्य शुभाशुभम् ॥ २४ ॥ अथापरः स्वप्नप्रदः स्वप्नवाराहीमन्त्रः ॥ (ॐ नमो भगवति कुमारवाराहि गुग्गुलुगन्धप्रिये सत्यवादिनि लोकाचारप्रचाररहस्यवाक्यानि मम स्वप्ने वद वद सत्यं ब्रूहि ब्रूहि आगच्छ आगच्छ ह्रीं वौषट् ॥५॥) एतन्मन्त्रस्य सहस्रजपासिद्धिः । शुक्रवारे शुचिर्भूत्वा निशीथे कलशं शुभम् ॥ संस्थाप्याथो तदुपरि नागवल्लीदलं न्यसेत् ॥ २५ ॥ हरिद्रापिण्डरचितां देवीं ध्यान करे ॥ १९ ॥ 'सेनयोरुभयोर्मध्ये०' आर्थात् दोनों सेनाके मध्यमें अर्जुन श्रीकृष्णके सन्मुख अपने अस्त्र शस्त्र त्यागनकर उनके आगे बैठगया ॥ २० ॥ इसरकार ध्यान कर तुलसीकी जडमें पंचोपचार पूजन कर उत्तम चंदन अगर धूपसे शालग्रामकी पूजा करके ॥ २१॥ घृतका दीपक जलाय ताम्बूलादि उत्तम पदार्थोसे पूजन कर इसके पीछे कुशासनपर बैठकर १० ८ मंत्रको जपे ॥ २२ ॥ स्वस्थचित्तहो अच्छेमनसे दाहिनेकरवटपर शयन करै ॥ २३ ॥ तव स्वप्नमें कृष्ण आकर शुभाशुभ कहतेहैं ॥ २४ ॥ अब इसके पीछे स्वप्नदनेवाला स्वप्नवाराहीमंत्र कहतेहैं [ ॐनमो भगवतीति० ५] इस मंत्रके सहस्त्रजपसे सिद्धि होतीहै । शुक्रवारके दिन पवित्र होकर आधीरात्रीमें सुन्दर कलश स्थापन कर उसके ऊपर पान रक्खै ॥ २५ ॥ उसके ऊपर हलदीकी देवीकी प्रतिमा बनाकर स्थापन करे, फिर वारायै नमः For Private And Personal Use Only

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