Book Title: Vasantraj Shakunam
Author(s): Vasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भाषाटीकासमेत। यः स्वदेहोत्थितं मांसं परदेहोत्थितं च वा। स्वप्ने प्रभुङ्क्ते मनुजः ससाम्राज्यं समश्रुते॥३४॥प्रासादशृङ्गमासाद्यास्वाय चान्नं स्वलंकृतम् ॥अगाधेऽभसि यस्तीयोत्सभवेत्पृथिवीपतिः ॥ ३५ ॥ छर्दैि पुरीषमथवा यः स्वदेन विमानयेत् ॥ राज्य प्राप्नोति स पुमानत्र नास्त्येव संशयः॥ ३६ ॥ मूत्रं रेतः शोणितं च स्वप्ने खादति यो नरः ॥तैरङ्गाभ्यञ्जनं यश्चकुरुते धनवान्हि सः ॥३७ ॥ नलिनीदलशय्यायां निषण्णः पायसाशनम् ॥ यः करोति नरः सोत्र प्राज्यं राज्यं समश्नुते ॥ ३८ ॥ फलानि च प्रसूनानि यः खादति च पश्यति ॥ स्वप्ने तस्यांगणे लक्ष्मीलुठत्येव न संशयः ॥३९॥ यः स्वप्ने चापसंयोगं बाणस्य कुरुते सुधीः ॥ सर्व शत्रुबलं हन्यात्तस्य राज्यमकण्टकम् ॥४०॥ स्वप्ने परस्य योऽसूयां वधंबन्ध नमेव च ॥ यः करोति पुमाल्लोके धनवाजायते तु सः ॥४१॥ स्वप्ने यस्य जयो वै स्याद्रिपूणां च पराजयः॥स चक्रवर्ती राजा स्यादव नास्त्येव संशयः॥ ४२ ॥रौप्ये वा
काञ्चने पात्र पायसं यः स्वदेन्नरः॥ तस्य स्यात्पार्थिवपदं सम्पूर्ण मण्डलको खाजाताहे वह वलात्कारसे सागरपर्यन्त पृथिवीको भोगताहै ॥ ३३ ॥ जो मनुध्य स्वप्नमें अपने या पराये मनुष्यके मांसको खाताहै, वह साम्राज्यको प्राप्त होताहे ॥ ३४ ॥ जो पुरुष महलके ऊपर चढकर अच्छे पक्कानको खाकर अगाध जलमतैरताहै वह पृथिवीपति होताहै ॥ ३५ ॥ जो पुरुष वमन वा विष्ठा खाय और उसका अनादर न करे तो बह अवश्य राजा होताहै ॥ ३६ ॥ जो मनुष्य स्वप्नमें मूत्र वीर्य और रुधिरपान करताहै और तेल शरीरमें मलताहै वह धनवान होताहै ॥३७|| जो मनुष्य कमलदलकी सेजपर बैठकर खीर खाताहे वह मनुष्य राज्यको प्राप्त होताहै ॥ ३८ ॥ जो मनुष्य स्वप्नमें फल वा फूलोंको खाता या देखताहै उसके आंगणमें निःसंदेह लक्ष्मी लोटतीहै ॥ ३९ ॥ जो बुद्धिमान् स्वप्नमें बाणपर धनुष चढाताहै, वह सब शत्रुदलको मारताहै और उसका राज्य अकंटक होताहै ॥ ४० ॥ जो पुरुष स्वममें दूसरेका वध वा बंधन करताहै वा निंदा करताहै, वह पुरुष लोकमें धनवान होताहै ॥ ४१ ॥ जि. सकी स्वप्नमें जय और शत्रुकी पराजय होतीहै निःसंदेह वह चक्रवर्ती राजा होताहै ॥ ४२ ॥ जो मनुष्य चांदी वा सोनके पात्रमें खीर खाताहै अथवा वृक्ष वा पर्वतपर चढताहै वह राज्यपदको प्राप्त
For Private And Personal Use Only