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क्षिपन्निह न लज्जसे V. 22.17b क्षिप्त एवं प्रहर्षेण IV. 11. 88c क्षिप्तः कायः पुरा सखे IV. 11.87b क्षिप्तं दृष्ट्वा ततः कायम् IV. II. 86a क्षिप्तमिन्द्रेण ते वज्रम् IV. 66.23c क्षिप्तवान्गाचिनन्दनः I. 56.14b क्षिप्तः सागरसंप्लवे I 30. 18d क्षिप्तान्वृक्षान् समाविध्य IV. 19.12a क्षिप्तामिषीकां काकस्य V. 40.4C
क्षिप्ताश्राशु शरास्तेन VI. 103.29a
क्षिप्तेन पृथिवीतले VII. 74.16d क्षिप्रं कुरु हितं तव II. 7.30b
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गच्छ त्वमग्रतः IV. 12. 13b च नरकं याति VII. 74.29c चाध्यवसीयताम् I. 10.4d जनकनन्दिनि V. 67.36d तव सनाथो मे V. 21.33a तिसृभिरेतामिः II. 44.17C त्वं देवि शोकस्य V. 39.46a
त्वं नश्य से नीच III. 50.25c त्वामभिपत्स्यते V. 35.78d त्वां प्रापयिष्यामि II. 40.11c द्रक्ष्यसि पुत्रं त्वम् 1. 44.24c
राघवम् V. 39.48b
68.25b
68,28d
56.19c
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रामेण
वैदेहि V. 36.40a
संगतान् V. 39.49d
V. 68.26d
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क्षिप्रमङ्कागतां सतीम् VI. 33.29b क्षिप्रमद्य दुराधर्षाम् V. 41.22a क्षिप्रमद्याभिषेचये II. 9.2d क्षिप्रमद्यैव दुर्धर्षाम् VI. 23.13a
क्षिप्रमद्यैव लक्ष्मण III. 2.1gb
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क्षिप्रमद्यैव वानरा: IV. 19.15d क्षिप्रमन्तरधीयत VI. 31.42 क्षिप्रमन्तरमास्थितः III. 46.2b क्षिप्रमन्ये प्रपद्यन्ते VI. 63.19c क्षिप्रमर्हति धर्मेण VI. 111.102a क्षिप्रमर्हन्ति वेदितुम् VI 20.7b क्षिप्रमस्मिन्नरव्याघ्र VI. 17.43C क्षिप्रमाख्यात रामाय II. 16.50 क्षिपमागन्तुमर्हसि VI. 74.34b VI. 125.18d क्षिप्रमाज्ञापयद्रामः VI. 42.9c क्षिप्रमाज्ञाप्यतां राजन् II. 14.530 क्षिप्रमादाय राज्ञच II. 68. gc क्षिप्रमानयताव्यग्राः II. 1. 120 क्षिप्रमानीयतां धनु: VI. 95.21b क्षिप्रमानीयतां सीता V. 58.143a क्षिप्रमारभसे कर्म II. 100.1c क्षिप्रमारुह्यतामिति II. 46.24d क्षत्रमारोह सुग्रीव VI. 122.23a क्षिप्रमात्रज लक्ष्मण II. 30.31d क्षिप्रमुत्पततो मन्ये V. 13.7a क्षिप्रमृक्षपते तस्य VI. 83.3c क्षिप्रमेकतरं कुछ VI. 24.34b
VI. 30.13b
क्षिप्रभेनां वधिष्यामि VI. 4. IC
क्षिप्रमेव गमिष्यति II. 64.56b
क्षिप्रमेव गमिष्यावः II. 64.370
नृपात्मज I. 27.21d
प्रपत्स्यसे V. 51.2gd
भविष्यति II. 39.34d
51.12d
86.13d
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यताव III. 61.17d
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विनश्यति III. 68.13d
स्वलंकृतम् III. 24d
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