Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 1
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala
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स्थिति स्वात नदीसे झेलम नदी तक थी। इस प्रकार इस जनपदमें पश्चिमी पंजाब और पूर्वी अफगानिस्तान सम्मिलित थे । गान्धारकी राजधानी तक्षशिला नगरी थी। तक्षशिला शिक्षा और व्यापार इन दोनों ही दृष्टियोंसे महत्त्वपूर्ण थी। जीववैद्य तक्षशिलाका प्रसिद्ध शासक था। छान्दोग्य उपनिषद्' और शतपथ ब्राह्मण में गान्धारका उल्लेख आया है। ___तीर्थकर महावीरका समवशरण सिन्धुसे गान्धार गया था और यहाँकी जनताने उनका स्वागत-अभिनन्दन किया था। वीतरागवाणीका श्रवणकर अगणित व्यक्तियोंने आत्मोत्थानकी प्रेरणा प्राप्त की थी। सूरभीर ___ यह समुद्रतटवर्ती प्रदेश था, जो संभवत: 'सुरभि' नामक देशका बोधक है। यह सुरभि देश मध्य एशियाके क्षीरसागर (Caspian sea )के निकट (oxus) ऑक्स नदीके उत्तरको ओर स्थित था। आजकल खीव (khiva) प्रांतका खनत अथवा खरिस्म प्रदेश है । हरिवंशपुराणके वर्णनानुसार यहाँ भी महावीरका समवशरण गया था। स्वागतोय
समुद्रक किनारे होनेके कारण अथवा समुद्रसे वेष्टित होनेसे इस जनपदका नाम यह पड़ा होगा। यह जनपद उस समुद्रके तटपर अवस्थित था, जिसका अल क्वाथ-काढ़े (अनेक औषधियोंको जल में डालकर गर्म करनेपर हुए लाल वर्ण)के समान था। बहत सम्भव है कि यह लाल समुद्र (Red sca) के निकट रहा होगा। इस लाल समुद्रके तटपर अबीसीनिया, अरब, इथ्यूपिमा आदि देश अवस्थित हैं। इन प्रदेशोंमें जैनधर्मका प्रचार हुआ था। अतः हरिवंशपुराणमें प्रतिपादित क्वाथतोय लाल समुद्र (Rcd sea) का तटवर्ती प्रदेश है।
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सम्भवतः यह तूरानके लिए घ्यवहृत है । कार्ण
हरिवंशपुराणमें इस जनपदको उत्तर दिशामें बताया गया है । सम्भवतः यह काफिरिस्तान है। --- - - - -- -- १. छान्दोग्य उपनिषद् (गीताप्रेस) ६.१४१११८. २. इण्डियन हिस्टोकल क्वारटी, भाग २, पृ० २९, ३. भगवान पार्श्वनाष, पृ. १७३-२०२. २८२ : तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा