Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 1
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala
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की एक ही सतह में है। तारोंमें परस्पर जघन्य अन्तर एक कोशका सप्तमांश, मध्यम अन्तर ५० योजन और उत्कृष्ट अन्तर १००० योजन है। समस्त ज्योतिष्क विमानोंका आकार आधे गोलेके समान है। इन विमानोंके ऊपर ज्योतिषी देवोंके नगर हैं । ये नगर अत्यन्त रमणीक और जिनमन्दिर संयुक्त हैं। __चन्द्रमाके विमानका व्यास ५६।६१ योजन है, सूर्यके विमानका व्यास ४१६१ योजन, शुक्रके विमानका व्यास एक कोश, वृहस्पतिके विमानका व्यास कुछ कम एक कोश तथा बुध, मंगल और शनिक विमानोंका व्यास आधाआधा कोश है। तारों के विमान १४ कोश, क्वचित् ११२ कोश और क्वचित ३१ कोश है। गक्षत्रोंके विमान एक-एक कोश चौड़े हैं। राह और केतुके विमान किंचित् ऊन एक योजन चौड़े हैं । समस्त विमानोंको मोटाई, चौडाईसे आधी है। सर्य और चन्द्रमाकी बारह हजार किरणे हैं। चन्द्रमाकी किरणें शीतल और सूर्य की किरणें उष्ण हैं | शुक्रकी ढाई हजार प्रकाशमान किरणें हैं । शेष ज्योतिषी देव मन्द प्रकाश युक्त हैं।
चन्द्रमाके विमानका १६वां भाग कृष्णपक्षम कृष्णरूप और शुक्ल पक्षमें शुक्लरूप प्रतिदिन परिणमन करता है। राहुके विमानके निमित्तसे छह मासमें एक बार पूर्णिमाको चन्द्रग्रहण होता है। सूर्यके नाचे चलनेवाले केतु विमानके निमित्तसे छह मास में एक बार अमावस्याको सूर्यग्रहण होता है। ज्योतिष्क विमानोंको नाना प्रकारके आकार धारण करनेवाले देव खींचते हैं | चन्द्रमा और सर्य के सोलह-सोलह हजार वाहक देव हैं। ग्रहोंके आठ-आठ हजार, नक्षत्रोंके चार-चार हजार और ताराके दो-दो हजार बाहक देव हैं चन्द्रमा, सूर्य और ग्रह इन तानीका छोड़कर शेष ज्योतिषी देव एक ही मार्ग में गमन करत हैं। ___ जम्बूद्वीपम दो, लवण समुद्र में चार, धातको खण्डमें बारह, कालोदधिमें बयालीस और पुष्कनमें बहत्तर सूर्य-चन्द्रमा है। प्रत्येक द्वीप या समुद्रके समान दो-दो दण्ड हैं और आधे-आधे ज्योतिष्क विमान गमन करते हैं । ग्रहोंका प्रमाण चन्द्रमाओं के प्रमाणसे अट्टासो गणित है। नक्षत्रोंका प्रमाण चन्द्रमाओंके प्रमाणसे अट्ठाईस गणित और तारोंका प्रमाण चन्द्रमाओंके प्रमाणसे छियासठ हजार नौ सौ पचहत्तर कोडा-कोडी गुणित है।
चन्द्रमा और सूर्यके गमन-मार्गको चारक्षेत्र कहा जाता है। इस समस्त चारक्षेत्रकी चौड़ाई ५१०४८।६१ योजन है । इस चौड़ाई में १८० योजन तो जम्बूद्वीपमें और शेष ३३०/४८१६१ योजन लवण समुद्र में है | चन्द्रमाके गमन करनेको पन्द्रह और सूर्यके गमन करनेको एकसी चौरासी गलियाँ हैं। इस सममें समान अन्तर है। दो-दो सूर्य या चन्द्रमा प्रतिदिन एक-एक गरलीको
तीर्थकर महावीर और उनकी देशना : ४०५