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द्वितीयकाण्डम्
वनस्पतिवर्गः ४ पुमानेधः समित्त स्त्री वृक्षरन्ध्रे तु कोटरम् ॥८॥ निष्कुहो वल्लरिस्तस्यान्मञ्जरिमंजरी स्त्रियाम् । पलाशं छदनं पर्ण दलं पत्र पुमान् छदः ॥९॥ स्यात्पल्लवः किसलयं वृन्तं पुष्पादि वन्धनम् । ततौ विस्तारविटपौ कलिका कोरकः पुमान् ॥१०॥ आरामः कृतिमाऽरण्यं तथैवोपवनं मतम् ।
स्यात्पुंस्या क्रीड उद्यानं राजसाधारणं वनम् ॥११॥ नाम-त्वकू (त्वच्) १, वल्कल २, वल्क ३ पु० नपुं० । (१०) वृक्ष के भीतरी हिस्से के दो नाम-सार १ पु०, मज्जा २ स्त्री० । (११) काष्ठ मात्र के दो नाम-काष्ठ १, दारु २ नपुं० । (१२) सूखी लकड़ी के पांच नाम-शुष्क १, इन्धन २, एधस् ३ नपुं०, एध ४ पु०, समित् (समिध् ) ५ स्त्री० । (१३) वृक्षरन्ध्र के तीन नाम-वृक्षरन्ध्र १, कोटर २, नपुं०, निष्कुह ३ पु० ।
हिन्दी-- १ मञ्जरी के तीन नाम-वल्लरी (वल्लरि) १, मारि २, मञ्जरी ३ स्त्री० । (२) पत्र (पत्तों) के छ नाम-पलाश १, छदन २, पर्ण ३, दल ४, पत्र ५ नपुं०, उद ६ पुं०। (३) नूतन पत्र के दो नाम-पल्लव १, किसलय २ नपुं०। (४) पुष्प के आधार बन्ध के दो नाम-वृन्त १, प्रसवबन्धन २ नपुं० । (५) वृक्ष के शाखादि विष्कम्भ के तीन नाम-विस्तार १ विटप २ अस्त्री०, तति ३ स्त्री० । (६) पुष्पकली के दो नाम-कलिका १. कोरक २ पु० । (७) कृत्रिम वन के तीन नाम-आराम १ पु० कृत्रिमारण्य २, उपवन ३ नपुं० । (4) सर्वोपभोग्य राजवन के दो
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