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तृतीयकाण्डम्
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विशेषणः२ पुण्यवान् सुकृती धन्योऽथ महेच्छमहाशयौ ॥५॥ महोद्योगी महोत्साहे प्रतीक्ष्याऽऽराध्य पूज्यकाः । स्याज्जैवाटके आयुष्मान् शास्त्रज्ञः शास्त्रवित्समौ ॥६॥ दक्षिण्यो दक्षिणा] स्याद्वरंदो वरदायकः । सुकलो दातृभोक्ता स्यात्सेवकोपासकौ समौ ॥७॥ सन्दिहानः सांशयिके सरैलोदारदक्षिणाः । विख्यात वित्तविज्ञात प्रतीतप्रथिताः समाः॥८॥ स्याद्गुण्यो गुणसम्पनो नियों दृढकार्यकृत् ।
(१) भाग्यशाली के तीन नाम-पुण्यवान् १ सुकृति (सिन्) २ धन्य ३ । (२) महापुरुष के दो नाम-महेच्छ १ महाशय २ । (३) दुःसाध्य में भी उद्योगी के दो नाम-महोयोगी १ महोत्साह २ । (४) ज्य के तीन नाम-प्रतीक्ष्य १ आराध्य २ पूज्य ३ । (५) आयुष्मान् के दो नाम-जवातृक १ आयुष्मान् २ । (६) शास्त्रवेत्ता के दो नाम-शास्त्रज्ञ १ शास्त्रवित् २ । (७) दक्षिणा देने योग्य के दो नाम-दक्षिण्य १ दक्षिणाई (दक्षिणेय) २।(८) वरदाता के दो नाम-वरद १ वरदायक (समर्थक) २ । (९) दाताभोक्ता के दो नाम-सुकल १ दातृभोक्ता २। (१०) सेवक के दो नाम-सेवक १ उपासक २ । (११) सन्देहशील के दो नाम -सन्दिह १ सांशयिक २ । (१२) उदार के तीन नाम-सरल १ उदार २ दक्षिण ३ । (१३) प्रसिद्ध के पांच नाम-विख्यात १ वित्त २ विज्ञात ३ प्रतीत ४ प्रथित ५ । (१४) गुणसम्पन्न के दो नाम-गुण्य १ गुणसम्पन्न २। (१५) दृढकार्यकर्ता के दो नाम--निर्वार्य १ दृढकर्मकृत २
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