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द्वितोयकाण्डम् . २०४
क्षत्रियवर्गः९ दानं मदः शिरः पिण्डः कुम्भोऽस्याभ्यन्तरं विदुः॥४६॥
आसन स्कन्ध देशोऽस्य बिन्दुजालं तु पद्मकम् । अकुशोऽस्त्री सृणिः स्त्री स्यात्कशायां तोत्र वैणुकौ।४७॥ निगडोऽस्त्र्यन्दुकोनाऽन्दुः स्त्री नना शृंखलं भवेत् । कल्पना सजना कक्ष्या-दृष्ये तूदरबन्धनो ।।४८।। कुथी वर्णः परिस्तोमः प्रवेण्यास्तरणं त्रिषु । आहवो पालितोऽन्येतु द्वयोरेव कुथं विदुः ।।४९।।
झलैऽझल्ला तथाऽऽस्फाले हस्तिनी कर्ण चालने । (१) गजमद के दो नाम-दान १ नपुं०, मद २ पु०। [२] ग न शिरः पिण्ड का एक नाम-कुम्भ १ पु. । (३) कुम्भद्वय के भीतर मस्तिष्क को 'विदु' कहते हैं पु० । (४) हाथी के कन्धे का एक नाम-आसन १ नपुं० । (५) हाथो के माथे पर जो रक्तबिन्दु समूह है उसके दो नाम-----बिन्दुजाल १ पद्मक २ नपुं० । (६) अंकुश के दो नाम-अंकुश १ पु०पुं०, सृणि २ स्त्रा० । [७) चाबूक के तीन नाम-कशा १ स्त्रः०, तोत्र २ वैणुक ३ पु० । (८) हस्ति बन्धन बेडी के चार नाम-निगड १ पु० नपुं० अन्दुक २ पु० अन्दु ३ स्त्री. शृङ्खला ४ स्त्री० । (९) चढने के लिये हाथी को सजने के दो नाम कल्पना १ सज्जना २ स्त्री. । (१०) हाथी के पेटकम रस्सा के तोन नामकक्ष्या १ दूष्या २ उदरबन्धनी (रज्जु) ३ स्त्रो. । (११) हाथी के झूल के पांच नाम-कुथ १ (वोपालित मते तु त्रिलिङ्ग, अन्यमते तु पु.नपुं.) वर्ण २ परिस्तोम ३ पु. प्रवेणी ४ स्त्रो. आस्तरण ५ नपुं. । (१२) हथिनी के कर्णचालन के तीन नामझलझल्ला १ स्त्री., आस्फाल २ पु.. हस्तिन कणचालन ३ नपुं. ।
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