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द्वितीयकाण्डम्
घनस्पतिवर्गः४
तुलैंसी पावनी वृन्दा मरुन्मरुवको समौ । गन्धोत्केटो दमनकोबर्बरी वनबर्बरी ॥२८॥ अन्यथाऽतिचरा पमा सारदा स्थल पद्मिनी । आम्रो रसालो माकन्दः सहकरोऽति सौरभः ॥२९॥ राजाम्रः कलभाम्रः स्या कोशाम्रस्तु मुकेशकः । पक्यस्याऽस्य रसो धर्मशुष्क आम्रातः स्मृतः ॥३०॥
आम्रातके पोतनः स्या त्समो दाडिम्बदाडिमो । का एक नाम--पारिजात १ पु०। (९) जपापुष्प अडहुल के दो नाम-जपा १ जवा २ स्त्री०। १० तुलसी के तीन नाम-तुलसी १. पावनी २, वृन्दा ३ स्त्री०। (११) मरुआ के दो नाम-मरुत् १ मरूवक २ पु०। (१२) वनतुलसी के चार नाम-गन्धोत्कट १ दमनक २ पु०, बर्बरी ३, वनबबेरो ४ स्त्रो०।
हिन्दी-(१) स्थलकमलिनी के पांच नाम-अन्यथा १, अतिचरा २, पद्मा ३ सारदा ४, स्थलपमिनी ५ स्त्री०। (२) आम के पांच नाम-आम्र १, रसाल २, माकन्द ३, सहकार ४ अतिसौरभ ५ पु० (३) रस विना आम के दो नाम-राजाम्र १. कलभाम्र २ पु० । (४) रसवाले आम के दो नामकोशाम्र १ सुकेशक २ पु०। (५) पके हुए आम रस को धूप में सुखाकर जो पापड बनता है उसका एक नाम-आम्रातक १. पु० । (६) अंबाडा (अमड़ा) के दो नाम-आम्रातक १, पीतन २ (कपीतन) पु० । (७) दाडिम के दो नाम-दाडिम्ब १ दाडिम २ पु० । (८) केले के तीन नाम-रम्भा १ कदली २ मोचा ३
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