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द्वितीयकाण्डम्
वनस्पतिवर्गः
प्रियङ्गुः फलिनी गुन्द्रा गौरी गोरोचनेऽस्त्रियाम् । उशीरे नलदं व्याघ्र-नखे व्याडायुधं स्मृतम् ॥६०॥ शैले यमश्मनो जातं कन्दं पुष्पं मधुद्रवः । मुस्ता नगरसुस्ता स्त्री वन्यं कैवर्तमुस्तकम् ॥६१॥ शंखिनी चोरपुष्पी स्यात् तस्करश्चोरके पुमान् । कुष्ठं तु जरणं रामं केचुरे कल्पकः स्मृतः ॥२॥
गन्धिनी तालपर्णीस्याद् दैत्या गन्धकुटी मुरा । मांसी के पांच नाम-लोमशा १, जटिला २, जटा ३, मांसो ४, तपस्विनी ५ स्त्री०। (९) प्रियंगु के तीन नाम-प्रियंगु १, फलिनी २, गुन्द्रा ३ स्त्री० । (१०) गोरोचन के दो नाम-गौरी १, गोरोचना २ स्त्री० । (११) खसखस की जड़ के दो नामउशोर १ पुं० नपुं० । नलद २ नपुं० । (१२) व्याघ्रनख (सुगन्धित) विशेष के दो नाम-ब्याननस्व १, व्याडायुव२ न. । (१३) शिलाजीत के चार नाम-शैलेय नपुं०, अश्मकन्द २, अश्मंपुष्प ३ पु० नपुं०, मधुद्रव ४ पुं० ।
हिन्दी-(१) नागरमोथा के पांच नाम-मुस्ता १, नगरमुस्ता २ स्त्री, वन्य३, कैवर्त ४, मुस्तक५ नपुं० । (२) शंखपुष्पी के दो नाम शंखिनी१, चोरपुष्पा२ स्त्रो० । (३) चौर पुष्पौषधि के दो नाम-तस्कर १, चोरकर पु० । (४) कूठ पुष्प के तोन नाम-कुष्ठ १, जरण २, राम३ नपुं० । (५) कचूर के दो नाम-(पोले रंग के द्रवविशेष) कचूर १, कल्पकर पु० । (६) मुरा औषधि के पांच नाम -गन्धिनी१. तालपर्णी२, दैत्या३, गन्धकुटी४, मुरा५ स्त्री० ।
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