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द्वितीयकाण्डम् १२३ वनस्पतिवर्गः ४
द्रोणपुष्पी फले पुष्पाऽऽदित्यंभक्ता सुवर्चला ॥११९।। वैन्ध्या कर्कोटकी नागा-राति सर्पविषापहा । मार्कण्डिका पोतपुष्पी मार्कण्डी मृदुरेचनी ॥१२०॥ देवंदाली कोषफला लागली जलपिप्पली । भूम्यामली विषघ्नीस्या।द्वामी मण्डूकपर्णिका ॥१२१॥ गो जिह्वा दार्विका गोभी छिक्कनी छिक्कके समे । रक्तपुष्पीबलानाग-दमनी विषमर्दिनी ॥१२२॥
मुषाकर्णी मूषिका च द्रवन्ती शम्बरीवृषा । (१) दनूफ (गुल्म) के दो नाम-द्रोणपुष्पी १ फलपुष्पा २ स्त्री। (२) सूर्यमुखी पुष्प केदो नाम-आदित्यभक्का १ फलेपुष्पा स्त्री० । (३) हुरहुड़ का एक नाम-सुवर्चला १ स्त्री० । (४) तीन काँकड़ी (बाँझ ककोडा) के चार नाम-बन्ध्या १, कर्कोटकी २, नागराति ३, सर्पविषापहा ४ स्त्री० । (५) सनामकई (सनाय) के चार नाम-मार्कण्डिका १, पोतपुष्पी २, मार्कण्डी ३, मृदुरेचनी ४ स्त्री । (६) घघरबेल के चार नाम-देवदालो १, कोषफला २, लाङ्गनी ३. जलपिप्पली ४ स्त्री० । (७) भूम्यामल का (अमरोड़ा) के चार नाम-भूम्यामली १, विषघ्नी २, ब्राह्मी ३, मण्डूकपर्णि का (८) गोजिह्वा (वनगोभी) के तीन नाम-गोजिह्वा १, दार्विका २, गोभी, स्त्री० । (९)नाक छिकनी के दो नाम-छिक्कनो १, छिक्किका २ स्त्री० । (१०) नागदौन के चार नाम--रक्तपुष्पी १, बला ३ नागदमनी ३, विषमर्दिनो ४ स्त्रो० । (११) मूसाकरणी के पांच नाम-मूषाकर्णी १, मूषिका २, द्रवन्तो ३, शम्बरी ४,वृषा ५ स्त्री।
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