Book Title: Shaddarshan Samucchaya Part 02
Author(s): Sanyamkirtivijay
Publisher: Sanmarg Prakashak

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Page 25
________________ क्रम - दृष्टान्ताभास ५९७ शब्द - व्युत्पत्ति प्रकार अन्विताभिधान का खंडन - आकांक्षा योग्यता - सन्निधि का निरुपण - • शाब्दं द्विविधं और गुरमत निरास ५९८ उपमान का ५९९ अर्थापति स्वरूप और नैयायिक मत का खंडन - विषय - अर्थापति का स्वरुप और नैयायिक मत का खंडन प्राभाकरमत का खंडन - दो प्रकार ६०० अनुपलब्धि - गुरुमत का निरास - • अनुपलम्भ सत्तामात्र से बोधक अनुपलम्भ का द्वैविध्य तार्किक मत निरास प्राभाकरमत निरास ६०१ प्रमेयानि अन्य प्रमाण का अन्तर्भाव द्रव्य का लक्षण नैयायिक मत का खंडन - द्रव्य के प्रभेद का निरुपण श्लोक नं. ६०२ पृथ्वी का लक्षण और प्राभाकर मत का खंडन - षड्दर्शन समुच्चय, भाग-२ (२२-६२२) ६०३ जल का लक्षण ६०४ तेज का स्वरुप Jain Education International ६०५ वायु का लक्षण और वैशेषिक मत का खंडन प्र. नं. - १२२१ १२२१ १२२२ १२२३ १२२४ विषय अंधकार (तमः) का स्वरुप (१) नैयायिक और गुरुमत का खंडन (२) परमाणु का स्वरूप और नैयायिक मत का खंडन (३) ईश्वरकर्तृत्व खंडन (४) वेदपौरुषेयत्व खंडन क्रम १२२६ १२२९ ६०६ आकाश ६०७ काल ६०८ दिक् (५) स्वतः प्रामाण्य का स्थापन (६) प्रामाण्याप्रामाण्य विचार १२२९ १२३२ १२३३ ६०९ आत्मा १२३३ १२३४ १२३४ १२३५ १२३६ १२३६ १२३७ १२३९ १२३९ १२३९ १२४२ - दिशा-काल-आकाश का प्रत्यक्ष (१) आत्मा का लक्षण (२) शांकरमत का खंडन (३) चार्वाकमत का खंडन (४) अखंडार्यत्व खंडन (५) आत्मा विभु है (६) स्वर्ग - अपवर्ग (७) सौगतमत खंडन (८) प्रभाकर मोक्ष खंडन (९) सांख्य मत खंडन (१०) शांकरमत खंडन १२४० ६१० मन श्लोक नं. मन का विभुत्वसाधनम् १२४० ६१९ शब्दः १२४१ १२४१ (१) शब्द आकाश का गुण नहीं है (२) शब्द विभु एवं नित्य है (३) अनित्यत्व का खंडन (४) शब्द की द्विविधता For Personal & Private Use Only प्र. नं.... १२४३ १२४३ १२४४ १२४५ १२४७ १२५० १२५१ १२५२ १२५२ १२५३ १२५३ १२५४ १२५४ १२५४ १२५५ १२५६ १२५७ १२५८ १२५८. १२५८ १२५९ १२५९ १२६० १२६० १२६२ १२६२ १२६२ १२६३ १२६४ www.jainelibrary.org

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