Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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राम्नाय से विरुद्ध थोड़े काल से पीताम्वर धारियों की एक और शाखा निकली है क्योंकि श्वेताम्बरी नाम श्वेतवस्त्र वाले का होता है श्वेतका अर्थ सुफैद और अम्बरका अर्थ वस्त्र है सोशब्दार्थ से भीयही सिद्ध होता है कि श्वेताम्बरी वही होसकता है जो श्वेत वस्त्र वाला साधुहो, इसलिये यह पीतवस्त्रधारीसाधु अपने आपको जैन शास्त्रसे विरुद्ध श्वेताम्बरी कहते हैं,यहप्रायःमूर्ति पूजाका विशेष आधार रखते हैं, इसलियेइसपुस्तकमेंनिक्षेपोंका अर्थसहित और युक्ति प्रमाण द्वारा स्पष्ट रीतिसे मूर्ति पूजा का खण्डन किया गया है और जो मूर्ति पूजक सूत्रों में से 'चेइय' शब्द को ग्रहण करके मूर्ति पूजने को भ्रम स्वल्प बुद्धिजनों के हृदयमें डालते हैं। इसभ्रम काभी संक्षेप रीतिसे सूत्रोंके प्रमाण