Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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( २ )
अथ चारो निक्षेपका स्वरूप मल सच और हृष्टांत सहित लिखते हैं ।
यथासूत्रम् सेकिंतं आवस्सयं आवस्सयं चउविहं पन्नत्तं तंजहा नामावस्सयं १ ठवणावस्सयं २ दव्वावस्सयं ३ भावावस्सयं ४ सेकिंतं नामावस्तयं नामावस्सयं जस्सणं जीवस्सवा अजीवस्सवा जीवाणंवा अजीवाणंवा तदुभयस्सवा तदुभया णंवा आवस्सएति नामं कज्जइसेत्तं नामाव• स्सयं १ अस्यार्थः ।
प्रश्न - आवश्यक किस को कहिये उत्तर अ. वश्य करने योग्य यथा आवश्यक नाम सूत्र जसको चार विधि से समझना चाहिये । तद्यथा