Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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( ८० ) पक्षपातीयोंने प्रक्षेप किया है मिथ्या डिंभ के सहारे के लिये बस पूर्वपक्षीओ अव द्रौपदी जी के पाठ का शरणालो॥ ___ (१६) पूर्वपक्षी-हांहांजी द्रौपदी जीकेमन्दिर पूजनेका प्रकट पाठ है इसमे तुम क्या तर्क करोगे ॥ ___ उत्तरपक्षी-तर्क क्या हम यथार्थ सूत्रानुसार प्रमाण देके खंडन करेंगे, प्रथमतो तुम यहवताओ कि जैनमत वालों के कुल में अर्थात् जेनीयोंके घरमें मद मांस पकाया जाताहै वा नहीं ॥ पूर्वपक्षी-नहीं।
उत्तरपक्षी-तो फिर कंपिलपुर का स्वामी द्रौपदराजा द्रौपदी के पिता के घर द्रौपदी के विवाह में मद मांस के भोजन बनाये गये थे