Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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( १६६ ) सेवएचितरूवाणि, नसाअ उजाविआहिआ। ११२ अर्थ।
हे गौतम आर्या विश्वेत वस्त्र को छोड़ रंगे वस्त्र पहरे तो उस को जैनमत की आय न कहिये ११२ इत्यर्थः ___ (३०) प्रश्न-एक बात से तो हम को भी निश्चय हुआ कि सम्यक्त्व शल्योद्धारादि पुस्तक के बनाने वाले मिथ्यावादी हैं, क्योंकि सम्यक्त्व शल्योद्धार देशी भाषा की सम्वत् १९६० की छपी पृष्ठ एक १ में लिखा है कि इंडियामत अढाई सौ वर्ष से निकला है और पृष्ठ ४ में लिखा है कि ढूंढिये चर्चा में सदा पराजय होते हैं। । परन्तु हम ने तो पंजाब हाते में एक नाभा पति राजा हीरासिंह की सभा में ढूंडिये और