Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak

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Page 214
________________ ( ४ ) अनन्त जीवोंको जिनका चेतना लक्षण है अ. नादि मानते हैं। ३-जगत के विषय में। ३-जड़ परमाणुओं के समूह रूप लोक (जगत्) को अनादि मानते हैं अर्थात् पृथिवी, पानी, अग्नि, वायु, चन्द्र सूर्यादि पुद्गलों के स्वभावसे समूह रूप जगत् १ काल (समय)२ स्वभाव (जड़ में जड़ता चेतनमें चैतन्यता)३ आकाश (सर्व पदार्थों का स्थान) ४ इन को प्रवाह रूप अकृत्रिम (विना किसी के वनाये ) अनादि मानते हैं । ४-अवतार। — , ४-धर्मावतार ऋषीश्वर वीतरागजिनदेवको जैनधर्मका वतानेवाला मानते हैं अर्थात् जि

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