Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak

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Page 225
________________ ( १५ ) रार्थ, ज्ञानदीपिका ग्रन्थ ऐसीसरलभाषा में बनाया है (जिस में संक्षेपमात्र सत्यासत्य और धर्माधर्म का निरूपणकिया है ) कि अल्प बुद्धिजन भी उसको देखकर ठीक ठीक सत्य मार्गपर आजावें ॥ इस ग्रंथ में सूत्रोंके प्रमाण भी दिये गये हैं और श्रावक कों और अ. कर्मीका तथा सामायिक विधिकाप्रमाणसहित निरूपण किया हुआ है, इसलिये निश्चय है कि आप लोग पक्षपातको छोड़ तत्त्व दृष्टि से इस ग्रन्थको विचारकर भवसागर के पार उतर नेके लिये धर्मरूपी नौकाके ऊपर आरूढ हो कर इस दुःख बहुल जन्मको सफल करेंगे। यह पुस्तक बहुत उत्तम अक्षरों में और मोटे कागज़पर छप कर त्यार होगया है विलायती

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