Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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( १६४ ) रामजी आनन्दविजय जीका गुरु बूटेरायबुद्धि विजय जी अपनी वनाई मुख पत्ति चर्चा नाम पुस्तकमें अपने गुरुओंको परिग्रहधारी असाधु लिखतेहैं॥
(२९) प्रश्न-क्योंजो जैनसूत्रों में साधु को वस्त्र रंगने का निषेध है।
उत्तर-हां महावीरस्वामी के शासन में बहु . मोल और रंगदार वस्त्र मने हैं । श्वेत मानो पेत१४ उपगरण आदि मर्यादा वृत्ति चली है निशीथ सूत्र में जीव रक्षादि कारणात् गन्धि (खुशबो) के लिये आदिक लोद का वस्त्र पर रंग पड़जाय तो ३ चुली जलसहित से उपरंत लगा देवे ती दंड लिखा है और आचारांग जो सूत्र ७म, अध्ययन में वस्त्र का रंगना साफ मना है ॥