Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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( १०४ ) ज्ञान की स्तुति करे अथवा इरिया वही का ध्यान करने का अर्थ भी संभव होता है क्योंकि इरिया वहीके ध्यानमें लोगस्त उज्जोयगरे कहा जाता है उसमें चौवीस तीर्थंकर और केवलीयों की स्तुति होती है और लोगस्स उज्जोय गरेका नाम भी चौवीसस्तव (चौवीसत्था है फिर दूसरी छाल मे नंदीश्वरद्वीपमें समवसरण करे तहां पूर्वोक्त चैत्यवंदन करे फिर यहां अर्थात् अपने रहनेके स्थान आवे यहां चैत्य वंदनकरे अर्थात् पूर्वोक्त ज्ञान स्तुति अथवा इरिया वही चौवीस स्थाकरे, क्योंकि आवश्यकादि सूत्रों में कहा है साधुको गमनागमनकी निर्वृति हुए पीछे इरिया वही पडिक्कमें विन कोई कार्य करना कल्पे नहीं इत्यर्थः॥ __इसमें एक वात और भी समझनेकी है कि