Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak

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Page 184
________________ ( १४८ ) जिनपडिमाणं वंदमाणे अच्चमाणे सुयधम्म चरितधम्मनो लभेज्जा गोयमा पुढवि काय हिंसइ जावतस्स काय हिंसइ आउकम्म वज्जा सतकम्मपगडीउ सढिल वंधणय निगड़ वंधणं करित्ता जाव चाउरंत कंतार अणु परि ययंति असाया वेयणिज्जंकम्मभज्जो २बंधई सेतणठणं गोयमा जावनो लभेज्जा। ' अर्थ-हेभगवन् मनुष्य लोकमें कितने प्रकार की पडिमा (मूर्ति) कही है गौतम अनेक प्रकार की कहीं हैं, ऋषभादि महावीर(वर्धमान) पर्यंत २४ तिर्थंकरों की, अतीत, अणागत चौवीस तीर्थंकरों की पडिमा, राजाओं की पडिमा, यक्षों की पडिमा, भूतों की पडिमा, जाव धूम केतु की पडिमा, हे भगवान् जिन पडिमा की वंदना करे पूजा करे, हां गौतम बंदे पूजे

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