Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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हैं महावीर स्वामीक वक्त में भीथी और कई कहते हैं कि पहिलेसे हा चली आती है, यह कैसे है ।
१ उत्तरपक्षी - जो बारा वर्षो कालसे पीछे कहते हैं सोतो प्रमाणों से ठीक मालूम होता है हम अभी ऊपर मूर्ति पूजा निषेधार्थ में चार ग्रन्थों का पाठ प्रमाण में लिख चुके हैं, जिसमें प्रथम स्वप्नाधिकार में १२ वर्षो काल पीछे ही मूर्ति पूजाका आरंभ चलाया लिखा है।
२ और जा महावीर स्वामी जी के समय में कहते हैं सो तो सिद्ध होती नहीं क्योंकि भगवती शतक १२ मा उद्देशा २ में जयन्ति समणो पासका अपनी भौजाई मृगवती से कहती भई कि महावीर