Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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करेंगे ( परन्तु मंत्र सुनाने वाले को पूजेंतो ठीक है क्योंकि मूर्तिको मंत्र सुनानेवाला मूर्तिकागुरु हुआ और चैतन्य है, इत्यादि और होम जापसंसार हेतु पूजा के फल आदि बतावेंगे, उलटे पंथ में पड़ेंगे, इत्यादि इसका अधिक विस्तार हम अपनी बनाई ज्ञान दीपिका नाम पोथी के प्रथमभाग में लिख चुके हैं वहां से देख लेना उसमें साफ मूर्ति पूजा निषेध है अर्थात् मूर्ति पूजाके उपदेशकों को कुमार्ग गेरने वाले कहा है, २ द्वितीय महा निशीथ ३ तीसरा अध्ययन यथासूत्र |
हा किल अहे अरिहंताणं भगवंताणंगंधमल्ल-पदीव समद्यणोवलेवण विचित वत्थवलिधुपाइएहिं पूजासकारेहिं अणुदियहम्, पझवणंपकुठवण तित्थुष्पणंकरेमि तंचणोर्ण