Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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( १२३ ) देव लोक ही कभी न हुआ न होय क्योंकि इस पाठ में ऐसे लिखा है, कि संपूर्ण पृथ्वी को मंदिरों करके रच देवे अर्थात् मंदिरो करके भरे तव १२ में देव लोक में जाय सो न तो सारी मेदिनी (पृथ्वी) मंदिरों करके भरी जाय न १२ मां देव लोक मिले ताते भली भांति से सिद्ध हुआ कि सूत्र कर्ताने उपमादी है कि मंदिरों से क्या होगा दानादि,चार प्रकार के धर्म से देव लोक वामुक्ति होगी न तो सूत्र करता सीधा यों लिखता ___ (काउंपिजिणायणेहिं सहोगच्छेज्ज अचयं) अर्थ जिन मंदिरों को बनवा के श्रावक १२ में स्वर्ग में जाय बस यों काहे को लिखा है, कि मंडिया सव्व मेयणी वट्ट, दाणाइचउकयेणं सढोगच्छेज्जअच्चुयं