Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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( ४ ) आके मज्जन करके बलि कर्म किया (घर के देव पूजे) तिलक किया मंगल किया शुद्ध हुई अच्छे वस्त्र पहरे मज्जनघर से निकली जहां जिनघर मंदिर था वहां आई जिन पडिमां को देखके प्रणाम किया चमर उठा के फटकारा लगाया (चौरी लेके झल्ल लाया) जैसे सुरयाभ देव नेजिन पडिमां की पूजा करी तैसे करी कहनी धूप दीनी गोडे निमा के नमोथ्थुणं का पाठ पढ़ के नमस्कार करी जिनघर से बाहर आई।
उत्तरपक्षी-इन में कितना ही पाठ तो सूत्रों से मिलता है कितना तो नहीं मिलता। पूर्वपक्षी-वह कितना२ कैसे २ उत्तरपक्षी-बहुधा यह सुनने और देखने में