Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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दाखिल है जैसे शास्त्रों में लिखा है कि स्वाध्याय करना ( पाठ करना ) स्तोत्र पढ़ना सो बड़ा तप है तांते गुणियों के नाम गुण सहित लेने से (भजन करने से ) महा फल होता है अर्थात अज्ञानादि कर्मक्षय होते हैं।
और तुम लोकभी बिना गुणों के नाम को अर्थात् नाम निक्षेप को नहीं मानते हो यथा किसी झीवर का नाम महावीर है तो तुम उस के पैरों में पड़ते हो । पूर्वपक्षी - नहीं नहीं ।
उत्तरपक्षी - क्या कारण । पूर्वपक्षी - उसमें महावीरजी वाले गुण नहीं उत्तर पक्षी - मूर्ति में क्या गुण हैं पूर्वपक्षी - हमारेयशोविजयजीकृत हुंडीस्तवन नाम ग्रन्थ में लिखा है कि ढीले पसत्थे भेष