Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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( ७७ ) प्रश्न-(१४) पूर्वपक्षी उबाई जी सूत्र के आद ही में चम्पापुरीके वर्णनमें(वहवे अरिहन्त चेईय) ऐसा पाठहै अर्थात् चम्पापुरी में बहुत जिनमन्दिर हैं। ___ उत्तर पक्षी-उवाईजी में पूर्वोक्त पाठ नहीं है यदि किसी २ प्रतिमें यह पूर्वोक्त पाठ है भी तो वहां ऐसा लिखा है कि पाठान्तरे अर्थात् कोई आचार्य ऐसे कहते हैं इससे सिद्ध हुआ कि यह (प्रक्षेप) क्षेपक पाठ है ॥ __पूर्वपक्षी-इसीसूत्रमें अंबडजी श्रावकने जिन प्रतिमा पूजी है ॥ __उत्तरपक्षी-यह तुम्हारा कहना अज्ञानता का सूचक है अर्थात् सूत्र के रहस्य के त जानने का लक्षण है क्योंकि इस अंबड जी के मूर्ति पूजने का जो शोर मचाते हैं तो इस विषय