Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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( १८ ) ७८ पंक्ति २२ में लिखा है कि जिस वस्तु में अधिक निक्षेप नहीं जान सके तो उस वस्तु में चार निक्षेपे तो अवश्य करे अब विचारना चाहिये कि शास्त्रकारने तो वस्तु में नाम निक्षेप कहा है ओर जेठा मूढमति लिखता है कि जो वस्तुका नाम है सो नाम निक्षेप नहीं॥ ___ उत्तर-चेतन पूजक, हमारे पूर्वोक्त लिखे हुये
सूत्र और अर्थ से विचारों कि जेठमलमूढमति है कि सम्यक्त्वशल्य द्धारके बनानेवाला मुढ़मति है क्योंकि सूत्र में तो लिखा है कि जीव अजीवका नाम आवश्यक निक्षेप करे सो नाम निक्षेप अर्थात् नाम आवश्यक है,कि आवश्यक ही में आवश्यक निक्षेप कर धरे ॥ ____ यदि वस्तुत्व में ही वस्तु के निक्षेपे तुम्हारे पूर्वक्ति कहे प्रमाणसे माने जायें तदपि तुम्हारे