Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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( ३८ ) सर की मूर्ति से चूंगट पल्ला करती है इत्याद हां किसी ने कुल रूढी करके वा मोह के वस होकर वा क्रोध करके वा भूल करके कल्पना करली तो वह उसकी अज्ञान अवस्था है हर एककी रीति नहीं जेसे ज्ञाता सूत्र में मल्लि दिन कुमारने चित्रशालीमें मल्लि कुमारी की मूर्ति को देखके लज्जा पाई और अदब उठाया और चित्रकार क्रोध किया ऐसे लिखा है तो उस कुमारकी भूलथीक्योंकिहर एकने मूर्तिको देख के ऐसे नहीं कियाक्योंकि यह शास्त्रोक्त क्रिया नहीं है शास्त्रोक्त क्रिया तो वह होती है कि जिस का भगवंत ने उपदेश किया हो कि यह क्रिया इसविधि से ऐसे करनी योग्य है नतु शास्त्रोंमें तो संबंधार्थमें रूढिभी दिखाइहै, मन कल्पना भी दिखाई है और यज्ञभी यात्रा