Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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( ४ ) मांसाहारी क्यों लिखते हैं क्या वे वेदोंके कर्ता संस्कृत नहीं पढ़े थे हे भ्रातः ! पढ़ना प. ढाना कुछ और होता है और मत मतांतरोंके रहस्यका समझना कुछ और होता है अर्थात पढ़ना तो ज्ञानावर्णी कर्मके क्षयोपस्मसे होताहँ
और मतकी शुद्धि मोहनी कर्म के क्षयोपस्म से अर्थात्सम्यक्त्व की शुद्धताके प्रयोगसेहातीहै ।
प्रश्न-अजी यों कहते हैं कि प्रश्न व्याकरण के में अध्ययनमें लिखा है कि तद्धितसमास विभक्ति लिंग कालादि पढे विना वचन सत्य नहीं होता। उत्तर-यह तुम्हारा कहना मिथ्या है क्योंकि उक्तसूत्रमें तो पूर्वोक्त वचनकीशुद्धि कही है यों तो नहीं कहा कि संस्कृत बोलेविना सत्य व्रतही नहीं होता है सूत्र सूयगडांगजी में तो ऐसा लिखा है ॥