Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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( १० )
और थापना पै नहीं उतारी है इत्यर्थः ।
३ द्रव्य निक्षेप, द्रव्य इन्द्र जिससे इन्द्र वन सके परन्तु सूत्रमें द्रव्य दो प्रकारका कहा है एक तो अतीत इन्द्रका द्रव्य अर्थात् जाणग शरीर दूसरा अनागत इन्द्र का द्रव्य अर्थात् भविय शरीर सो अनागत द्रव्य इन्द्र जो उत् पात शय्या में इन्द्र होने के पुण्य बांधके देवता पैदा हुआ और जब तक उसे इन्द्र पद नहीं मिला तबतक वह भविय शरीर द्रव्य इन्द्र है क्योंकि वह वर्तमान कालमें इन्द्रपनका कार्य साधक नहीं परन्तु अनागत काल (आगेको) इन्द्रपनका कार्य साधक होगा ॥
और जो अतीत द्रव्य इन्द्र सो इन्द्रका काल करे पीछे मृत शरीर जबतक पड़ा रहे तब तक वह जाणग शरीर द्रव्य इन्द्र है क्योंकि वह