Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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इस द्रव्य आवश्यकके ऊपर ७ नय उतारी हैं जिसमें तीन सत्य नय कहीं हैं यथा सूत्र । तिण्ह सदनयाणं जाणए अणुव उत्ते अवत्थु । ___ अर्थ-तीन सत्य नय अर्थात् सात नय, यथा श्लोक
नैगमः संग्रहश्चैवव्यवहार ऋजुसूत्रको । शब्दःसमभिरूढश्च एव भूतिनयोऽमी । १
अर्थ-१ नैगम नय २ संग्रह नय ३ व्यवहार नय ४ ऋजु सूत्रनय ५ शब्दनय ६ समभिरूढ़ नय ७ एव भूत नय इन सात नयोंमें से पहिली ४ नय द्रव्य अर्थको प्रमाण करती हैं और पिछली ३ सत्य नय यथार्थ अर्थ को (वस्तुत्वको) प्रमाण करती हैं अर्थात् वस्तु के गुण विना वस्तुको अवस्तु प्रकट करती हैं ॥