Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak
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के न जानने वा न सुनने के कारण दूसरों के कल्पित ग्रन्थों के हेतु कुहेतु सुन कर भ्रमरूपी फन्दे में फंस जाते हैं, इन क्लेशों के निवारण करने के लिये सत्यार्थ चन्द्रोदय जैन अर्थात् मिथ्यात्त्वतिमिर नाशक नाम ग्रन्थ बनाने की मुझे आवश्यकता हुई। सुज्ञ जनोंको विदितहों कि इस ग्रन्थ में जोसनातन जैनमतमें दोशाखें होगई हैं अर्थात् १ श्वेताम्बराम्नाय और दूसरे २ दिगम्बराम्नाय, श्वेताम्बराम्नायमें भी २ दों भेद होगये हैं १ सनातन चेतन पूजक (आत्माभ्यासी) दया धर्मी श्वेत बस्त्र, रजोहरण मुख बस्त्रिका वालेसाध, जो सर्बदा सत्यासत्य की परीक्षा कर असत्य का त्याग और सत्यका ग्रहण करने वालेह जिनको(ढूंढिय) भी कहते हैं श्य, जड़ पूजक (मूर्तिपूजक)जिसमें श्वेताम्ब