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संक्षित जैन इतिहास । किन्तु प्रश्न यह है कि वैदिक आर्योसे पहले जो लोग भार. तमें रहते थे वह कौन थे ? यदि हम मेजर जेनरल फरलाँग सा० के अभिमतको मान्य ठहरायें तो इस प्रश्नका उत्तर यह होगा कि वे द्राविड़ भौर जैनी थे । और सब ही मरुदेव या नाभिराय कुलकरकी सन्तान थे ।' उनकी एक सभ्यता थी, एक संस्कृति थी और एक धर्म था, जैसा कि कुलकरों और मादिब्रह्मा ऋषभदेवने निरधारित किया था। परन्तु इस प्रभपर जरा अधिक गहरा विचार वान्छनीय है-मनस्तुष्टि गंभीर गवेषणासे भली होती है।
निस्सन्देह यह स्पष्ट है कि भारतके आदि निवासी वैदिक मान्यताके मार्य नहीं थे। उनके मतिरिक्त भारतमें दो प्रकारके मनुष्योंके रहनेका पता चलता है। उनमेंसे एक सभ्य थे और दुसरे विस्कुल असभ्य थे। पहले लोगोंका प्राचीन साहित्यमें नाग, ममुर, द्राविड़ आदि नामोंसे उल्लेख हुभा मिलता है और दूसरे प्रकारके मसभ्य लोग 'दास' कहे गये हैं। किन्हीं लोगोंका अनुमान है कि इन्हीं 'दास' गोगोंमेंसे शुद्र वर्णके लोग थे । सभ्य लोग
१. फरलांग सा० लिखते हैं कि "अनुमानतः ई० पूर्व १५००से "८०० बल्कि अगणित समय से पश्चिमीय तथा उत्तरीय भारत तूगनी
या द्राविड़ों द्वारा शासित था ।....उसी समय उत्तरीय भारतमें एक पुराना, सभ्य, सैद्धान्तिक और विशेषतः साधुओंका धर्म अर्थात् जैन धर्म भी विद्यमान था । इसी धर्मसे ब्राह्मण और बौद्ध धर्मोंके सन्यास शास्त्रोंने विकास पाया ।"Short studies in the Science of Comparative Religions, (pp. 243-4)
२. अई, पृ० भू० ३ १ १-६४
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