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५८] संतिम जैन इतिहास । नामक स्थानसे मोहन जोदडो जैसी और उतनी प्राचीन सामग्री उपलब्ध हुई। बस, जब हम उसके स्वतंत्ररूपये दर्शन करते हैं
और उसके इतिहासका प्रारम्भिक काल टटोलते हैं तो वहां भी धुंधला प्रकाश ही मिलता है। विद्वानोंका तो कथन है कि दक्षिण भारत के इतिहासका यथार्थ वर्णन दुर्लभ है । सर विन्सेन्ट स्मिथने लिखा था कि 'दूरवर्ती दक्षिण भारतके प्राचीन राज्य यद्यपि धनजन सम्पन्न और द्राविड़ जातिके लोगोंसे परिपूर्ण थे, परन्तु वे इतने मप्रगट थे कि शेष दुनियां को-स्वयं उत्तर भारतके लोगोंको उनके विषयमें कुछ भी ज्ञान न था। भारतीय लेखकोंने उनका इतिहास भी सुरक्षित नहीं रक्खा । परिणामतः आज वहांका ईस्वी आठवीं शताब्दिसे पहले का इतिहास उपलब्ध नहीं है।' एल्फिन्सटन सा० to retain their pre-Aryan features; their preAryan languages, their pre-Aryan institutions." -Pillai's Tamil Antiquities. जैनशास्त्र में भी कहा गया था कि इस काल में दक्षिणभारत में हो जैनधर्म जीवित रहेगा। क्या यह उसके प्राचीन रूपका द्योतक है ?
१-"The ancient kingdoms of the fer south, although rich and populous, inhabited by Dra
ridian nations......were ordinarily 80 secluded -- from the rest of the civilised world, inoluding
northern India, that their affairs remained hidden from the eyes of other nations and native annalists being lacking, thoir history provious to the year 800 of the obristian era, has almost wholly perished......"
-EHI. P. 7.
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