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१०६.] संक्षिप्त जैन इतिहास । हो।' इन्हीं बातोंको देखते हुये विद्वजन जैन मान्यताको विश्वसनीय प्रगट करते हैं। चन्द्रगुप्तके समान ही उसका पोता सम्प्रति भी जैन धर्मका
___मनन्य भक्त था। वह धर्मवीर होनेके. सम्राट् सम्पति। साथ ही रणवीर भी था। कहते हैं कि
उसने अफगानिस्तानके आगे तुर्क, ईरान आदि देशोंको भी विजय किया था। इन देशोंमें सम्प्रतिने जैन विहार बनवाये थे और जैन साधुओंको वहां भेजकर जनतामें जैन धर्मका प्रचार कराया था। विदेशोंके अतिरिक्त भारतमें भी सम्प्रतिने धर्मप्रभावनाके अनेक कार्य किये थे। उन्होंने दक्षिण भारतमें भी अपने धर्मप्रचारक भेजे थे।
किन्तु सम्प्रतिके बाद मौर्यवंशमें कोई भी योग्य शासक नहीं हुआ। परिणाम स्वरूप मौर्य साम्राज्य छिन्नभिन्न होगया और दक्षिण भारतके राज्य भी स्वाधीन होगये। अशोकके एक धर्म
१-जैसई० पृष्ठ ९।
2-" This co-incidence, if it were merely accidental, is certainly significant. Apart from minor details, this confirms the opinion of Rhys Devids that the linguistic and epigraphical evidence so far available confirms in many respects the general reliability of the traditions ourront among the Jains..."
-Prof. S. R. Sharma, x. A. ३-मंजेई. मा. २ खण्ड १ पृष्ठ २९३-२९६ ।
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