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संक्षिप्त जैन इतिहास |
पुत्र नभि - विनभिको नागराज धरणेन्द्र अपने साथ लेगया था और उन्हें विद्याधरोंका राजा बनाया था। उन्हींकी सन्तान विद्याधर नामसे मध्य ऐशिया आदिमें फैल गये थे । यादवोंके पूर्व पुरुष भी विद्याधर थे ।
उपर्युल्लिखित विद्याधरों के पूर्वज नमि-विनमि कच्छ महाकच्छ अथवा सुकच्छ के पुत्र थे, जिसका अर्थ यह होता है कि उनका आवास भी सुराष्ट्र ( काठियावाड़ ) था । उनके पिता कच्छ महाकच्छ देशके प्रमुख निवासी होनेके कारण ही उस नाम से प्रसिद्ध हुये प्रतीत होते हैं। और कच्छ महाकच्छ अथवा सुकच्छ देश आजकल के कच्छ देशके पास अर्थात् सिंधु सुवर्ण आदि ही होना चाहिये । इससे भी यही ध्वनित होता है कि सुराष्ट्रमे ही सुजातिके लोग मध्य ऐशिया आदि देशोंमें जारहे थे । सुमेर अथवा सुजातिके राजाओंके नाम भी प्रायः वे ही मिलते हैं जो कि भारतके सूर्यवंशी राजाओं के हैं ।
सुमेर राजाओंकी किशवंशावली में इक्ष्वाकु, विकुक्षि ( जिनके भाई निमि थे ), पुरंजय, अनेतु (नक्ष), सगर, ग्बु, दशरथ और रामचंद्र के नाम मिलते हैं ।
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मापु० सर्ग १८ श्लो० ९१-९२ व हरि ० सर्ग ९ श्लो १२७-१३० ।
२ - 'सु-कच्छ' नाम क्या उन्हें 'सु' जातिले सम्बन्धित नहीं प्रमष्ट करता ? ' उत्तरपुराण' (पर्व ६६ श्लोक १७) में एक 'सुकच्छ ' नामक देशका स्पष्ट उल्लेख है । इ देशके निवासी सु-जातीय होने के कारण महाकच्छ सुकच्छ नाम से प्रसिद्ध हुए प्रतीत होते हैं ।
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